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Happy Holi |
होली क्यों मनाई जाती है।जाने होली का सच्चा इतिहास और महत्व। Holi 2025 (Holi kyu manayi jati hai)ये ऐसे सवाल सबके मन में आते होंगे। होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। होली का त्योहार मनाने का बहुत सारे कारण है। पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने भक्त प्रह्लाद को आग में भस्म करने के लिए अपने गोद में लेकर बैठी थी। भगवान नारायण के आशीर्वाद के कारण भक्त प्रह्लाद बच गये लेकिन होलिका उस आग में भस्म में हो गई । उत्तरप्रदेश के वृंदावन-मथुरा में राधा कृष्ण की प्रेम के कारण होली मनाई जाती है। हम आपको इस आर्टिकल में होली मनाए जाने के कई कारण और कैसे मनाई जाती है और सबसे ज्यादा कहां मनाई जाती है। इसके बारे में आपको जानकारी देंगे।
आखिर होली क्यों मनाई जाती है?Holi 2025(Holi kyu manai jati hai.)
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से
होली की शुरुआत हो जाती है। यह समय वसंत ऋतु का माना जाता है। होली की जड़े भारतीय परंपरा, रीति रिवाजों और कृषि पद्धतियों में है।
ऐसा माना जाता है की होली प्रजनन का त्यौहार,
वसंत का आगमन और नए जीवन खिलने का उत्सव माना जाता है। होली के दिन किसान अपने अच्छे फसल की मनोकामना करता है।
होली मनाने की दूसरी कहानी ये है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी। लेकिन विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच जाता है। और होलिका अग्नि में भस्म हो जाती है।
होली मनाने के लिए और एक कारण यह है कि
नटखट कृष्णा का कलर राधा से अलग होता है। यानी कि राधा गोरी होती है और कृष्णा सावले रंग के होते हैं। इस रंग के वजह से कृष्णा अपने यशोदा मां से सांवले रंग की शिकायत करते हैं।
यशोदा मां श्री कृष्ण से कहती हैं कि राधा जैसा गहरे कलर रंग लगा दें।और तभी से पानी में रंग मिलाकर होली मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
होली का इतिहास
अपने इस आर्टिकल में देखा कि होली क्यों मनाई जाती है। होली का इतिहास और महत्व।
होलिका, राक्षस कुल के महाराज हिरण्यकश्यप की बहन थी।वह भक्त प्रहलाद की बुआ थी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, होलिका पिछले जन्म में महर्षि कश्यप और दीप्ति की पुत्री थी।
एक बार होलिका का भाई हिरण्यकश्पयू विजय प्राप्ति के लिए तपस्या में लीन था।तभी मौका देखकर देवताओं ने उसके राज्य पर कब्जा कर लिया। और उसकी गर्भवती पत्नी को ब्रह्मऋषि नारद अपने आश्रम में ले गए थे। वह उसे प्रतिदिन धर्म और विष्णु के महिमा के बारे में बताते थे।
यह ज्ञान गर्भ में पल रहे पुत्र प्रह्लाद ने भी प्राप्त किया था। बाद में असुरराज हिरण्यकश्पयू ने ब्रह्मा के वरदान से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली तो रानी उसके पास आ गई थी। वहां भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था।
भक्त प्रहलाद ने बचपन में ही विष्णु भक्ति शुरू कर कर दी थी। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्पयू ने
अपने गुरु को बुलाकर भक्त प्रहलाद विष्णु का नाम ना ले इसके लिए कुछ उपाय करने के लिए
कहा। गुरु ने बहुत कोशिश की किंतु वे असफल रहे।
तब असुरराज हिरण्यकश्पयू ने अपने पुत्र की हत्या का आदेश दे दिया। उसे विष दे दिया गया था, उस पर तलवार से प्रहार किया गया था, हाथियों के पैरों तले कुचलवाना चाहा , विष वाले नागों के बीच छोड़ा गया था। और पर्वत से नीचे फिंकवाया, लेकिन नारायण विष्णु के कृपा से भक्त प्रहलाद
हर बार बच गया था। यहां तक की गरम तेल में भी अपने पुत्र प्रहलाद को फेंक दिया था फिर भी वह बच गया।
1.होलिका दहन
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होलिका दहन |
असुरराज के सभी प्रयास विफल हो गए। तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाकर |
कहां की तुम प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाओ, जिससे वह जलकर भस्म हो जाएगा।
होलिका अग्नि देव की उपासक थी।
अग्नि देव ने उन्हें ऐसा एक वस्त्र दिया था जिसे पहनने के बाद अग्नि देवता उने जला नहीं सके।
भाई के आदेश का पालन करने के लिए होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को लेकर अग्निकुंड में बैठ गई। लेकिन नारायण विष्णु के कृपा से बहुत तेज हवा चली और वह वस्त्र होलिका के शरीर से उड़कर भक्त प्रहलाद के शरीर पर गिर गया।
इसलिए भक्त प्रहलाद तो बच गए। लेकिन होलिका जल कर भस्म हो गई।
होलिका को अपने भाई हिरण्यकश्यप की बात माननी इसलिए पड़ी थी कि वह इलोजी नामक
राजकुमार से प्रेम करती थी। और इन दोनों ने विवाह की योजना भी बना ली थी। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इलोजी राजकुमार बारात लेकर हिरण्यकश्यप के यहां होलिका से विवाह करने के लिए आया था।
होलिका शुरुआत में अपने भतीजे प्रहलाद को जलाने के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन हिरण्यकश्यप ने होलिका को यह भय दिखाया कि
अगर उसने आदेश का पालन नहीं किया तो इलोजी के साथ उसका विवाह नहीं होने देंगे।और
इलोजी को दंडित भी करेंगे।
अपने प्रेम को बचाने के लिए होलिका ने अपने भाई का आदेश का पालन किया और चीता पर प्रहलाद को लेकर बैठ गई लेकिन चुपके से प्रहलाद को अग्नि देव के वरदान के कारण से बचा लिया और खुद जलकर राख हो गई।
इलोजी इन सब बातों से अनजान था। जब होलिका से विवाह करने के लिए बारात लेकर आया तो सामने होलिका की राख देखकर व्याकुल हो उठा और हताश होकर वन में चला गया।
2.राधाकृष्ण प्रेम
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Radha Krishna prem |
होली से जुड़ी एक और लोकप्रिय कहानी भगवान कृष्ण और राधा के बारे में है। होली कृष्ण और राधा के बारे में एक चंचल प्रेम कहानी है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण जो अपने नटखट स्वभाव के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी मां यशोदा से अपने काले रंग की शिकायत की। उन्होंने अपनी मां से राधा के सुंदर रंग की विपरीत अपने गहरे रंग के बारे में शिकायत की थी। उत्तर में मां यशोदा देने सुझाव दिया था की वह राधा के चेहरे को अपने रंग से मेल खाने वाला रंग लगा दें।और राधा के चेहरे को रंगने की यह चंचल क्रिया रंग और पानी के साथ खेलने की परंपरा बन गई।
लोग होली खेलते हैं और अपने प्रियजनों को रंग लगाते हैं जो प्रेम, दोस्ती और वसंत के आगमन का प्रतीक है।
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होली का महत्व।
भारत में होली रंगों का त्यौहार है, यह धार्मिकता का प्रतीक है। जिसमें कृष्ण राधा और भगवान शिव की कहानी शामिल है। यह त्यौहार एकता प्रजनन अनुष्ठान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली सबसे प्रसिद्ध त्योहार में से एक है।
हिंदू धर्म में कई प्राचीन व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से होली को सबसे प्राचीन त्योहार माना जाता है। रंगों के इस पवित्र त्यौहार को
वसंत ऋतु का संदेश वाहक भी माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन और होली के दिन भगवान श्री कृष्णा, श्री हरी और कुल देवी देवताओं की पूजा करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इस दिन सभी लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। जिसमें लाल रंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि लाल रंग प्यार और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। जिससे आपसी प्रेम और स्नेह बढ़ता है।
होली समाज को एक साथ लाने और एक दूसरे के बीच का रिश्ता मजबूत करने में मदद करती है।
क्योंकि होली का त्यौहार हिंदुओं के अलावा अन्य धर्म में भी मनाया जाता है। होली की परंपरा यह है कि होली पर शत्रु भी मित्र बन जाते है। और आपसे किसी भी लड़ाई को भूल जाती है।
इस दिन लोग गरीब और अमीर के बीच भी अंतर नहीं करते और सभी लोग मिलकर भाईचारे के भावना के साथ त्यौहार को मानते हैं।
वास्तव में यह होली का त्योहार हम सभी के बीच बहुत ज्यादा मायने रखता है। और आपसे प्रेम और बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
होली कैसे मनाते हैं।
होली समय के साथ खुशी एकता और एकजुट का सार्वभौमिक उत्सव बन गई है। यह अभी एक विश्व प्रसिद्ध त्योहार बन गया है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली के दिन
एक दूसरे पर रंग फेंक कर, संगीत ढोल बजाकर, स्वादिष्ट मिठाई बनाकर मनाई जाती है।
1.रंगों से खेलना
होली के दिन लोग घर पर बने रंग या बाजार से खरीद कर रंग एक-दूजे पर फेंक कर होली मनाते हैं। होली के त्यौहार को लोग, शरद ऋतु के अंत और वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में, लोगों पर रंगों और पानी की बरसात कर के उत्सव मनाते हैं।
होली के दिन लोग गुलाल खरीद कर लाते हैं।और जो की प्राकृतिक है और पलाश के फूलों से बनी हो यह लाल ,गुलाबी, नारंगी रंग में मिल सकती है।
इन फूलों को सुखाकर और पीसकर पाउडर बनाया जाता है। कुछ लोग होली के दिन अबीर भी खरीद लेते हैं। जो अभ्रक के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनाया जाता है और यह चांदी के जैसे रंग की होती है। लोग इन दोनों को ही मिलाकर एक बेहद खूबसूरत लाल-नारंगी रंग का चमकीला पाउडर बना लेते हैं। जिसे वह लोग उनके चेहरे, हाथों और शरीर पर तरह-तरह के रंग डालते हैं और होली के मजे लेते हैं।
इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर अपने दोस्तों,
रिश्तेदारों और परिवार के साथ होली खेलती है।
कॉलेज के छात्र और छात्राएं किसी एक जगह इकट्ठे होकर होली खेलते हैं।
होली रंगों का तथा हंसी-खुशी का त्यौहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्यौहार है जो आज विश्व भर में मनाया जाने लगा है।
2.होली का दहन
होली मनाने के लिए लोग लकड़ियां इकट्ठा करते हैं। ताकि होली करीब आते-आते होलिका दहन के लिए भरपूर मात्रा में लकड़ियां जमा हो जाए।
इस ढेर में लकड़ी के साथ-साथ और कुछ ज्वलनशील सामग्रियां जैसे के गोबर के कंडे, घास आदि रखे जाते हैं। अंत में इसे जलाने के लिए एक ढेर के रूप में तैयार कर दिया जाता है। भरपूर मात्रा में लकड़ियां और ज्वलनशील पदार्थों को इकट्टे कर लिया जाता है। ताकि होलिका दहन के लिए एक अच्छा ढेर बन सकें। और इस इकट्ठे लकड़ियां के ढेर को जलाकर लोग होली का उत्सव मनाते हैं।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया था कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। ताकि भक्त प्रहलाद आग में जलकर मर जाए। लेकिन आग में बैठते ही होलिका के बालों ने आग पकड़ लिया और वह जलकर मर गई। मगर भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद आग से बचकर बाहर आ गया।
बस इसी की याद में होली का त्यौहार, होलिका दहन करके मनाया जाता है। होलिका के एक ज्वलनशील पुतले को इस लकड़ी के ढेर पर रखकर जलाया जाता है।
इस होली में जलती हुई होलिका को बुराई पर अच्छाई का जीत का प्रतीक माना जाता है।
Conclusion:
आज हम इस आर्टिकल में देखा कि भारत में
और अन्य देशों में होली मनाने के पीछे का कारण क्या है।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में तिथि से होली के पर्व की शुरुआत होती है। इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि आखिर होली का त्यौहार मनाने का इतिहास और उसके पीछे की कथा क्या है।
होली एक दूसरे के स्नेह के प्रति और एक दूजे को मदद करने की भावना से लोग एक दूसरे की शत्रुता को भुलाकर होली का उत्साह मानते हैं।
होली मनाने की वजह राधा कृष्ण के गहरे रंग का फर्क, राधा की रंग जैसा हो जाने के लिए श्रीकृष्ण ने खुद को रंग लिया इसी कारण वृंदावन में होली मनाई जाती है।
असुर राज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी। लेकिन विष्णु के कृपा से प्रहलाद बच गया। इसी याद में होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हमने इस आर्टिकल में होली का महत्व बताया है।
वास्तव में यह होली का त्योहार हम सभी के बीच बहुत ज्यादा मायने रखता है। होली का त्योहार आपसी प्रेम और बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतीक माना जाता है।
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FAQ
1. होली कब और क्यों मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में होली का त्यौहार शुरू होता है।
इस साल होली 24 मार्च 2025 शुक्रवार को मनाई जाएगी।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के दहन होता है।और भक्त प्रहलाद विष्णु की कृपा से बच जाता है।
उसकी याद में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
2. होली कब मनाई जाती है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को होली का त्यौहार मनाया जाता है।इस साल होली 24 मार्च 2025 शुक्रवार को मनाई जाएगी।
3. होली में क्या प्रसिद्ध है?
होली में लाल रंग , गुलाल, अनेक रंग-बिरंगी रंग और ढोल-मंजीरो की आवाज, और पारंपरिक गीत - नृत्य प्रसिद्ध है।
4. होली का सच्चा इतिहास क्या है?
असुरराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का होली के दिन दहन हुआ था।इसका इतिहास ऐसा है कि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से कभी जल नहीं सकती। लेकिन अपने भाई हिरण्यकश्यप का आदेश का पालन करने के लिए वह अग्निकुंड में अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी थी। लेकिन नारायण विष्णु के कृपा से भक्त प्रहलाद बच गया। लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई।
5. होली कैसे मनाते हैं?
होली का त्योहार दो दिन तक मनाया जाता है।
इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंककर होली का त्यौहार मनाते हैं। गोबर के कंडे,लकडीया,घास इकट्ठा कर ढेर बनाकर उसे जलाकर लोग होली मनाते है। होली के दिन पुरणपोली बनाई जाती है।