International Labour Day 2025: मजदूर दिवस मनाने का इतिहास क्या है?

International Labour Day 2025: मजदूर दिवस मनाने का इतिहास क्या है?
International Labour Day 2025

 International Labour Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 May को मनाया जाता है। मजदूरों का सम्मान करना और उनके अधिकारों के लिए संघर्षों को याद करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस दिन को एक बेहद खास मकसद के साथ मनाया जाता है। कामगार दिवस जिसे अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस भी कहा जाता है। लोगों ने श्रमिकों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार जैसे खराब कार्य परिस्थितियों, श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन, कम मजदूरी, बाल श्रम और अत्यधिक कार्य घंटे के खिलाफ एफ विरोध प्रदर्शन किया। इसी दिन को याद में रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन मनाया जाता है।
इस ब्लॉग आर्टिकल में हमने अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के बारे में सभी जानकारी लिखी है तो हमारे ब्लॉग आर्टिकल को हम तो तक जरूर पढ़ें।

यह भी पढ़ें:


आंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास 


इससे 25 साल पहले अमेरिका में श्रमिको को हालत बेहद खराब थी। उन्हें 1 दिन में 15 घंटे काम करना पड़ता था। श्रमिकों की काम करने की जगह ना हवादार होती, ना साफ सुधरी होती थी।

इनी वजह से परेशान होकर मजदूरों ने हड़ताल करने का फैसला किया था।और 1 मई 1886 को 
अमेरिका के सड़कों पर उतरकर उन्होंने 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे करने की मांग की गई। और काम की जगह सुरक्षित तथा साफ सुधरी होनी चाहिए यह भी मांग की थी।
तब पुलिस ने उन पर गोलियां चलाई थी इसमें बहुत सारे लोग घायल हुए थे। इसी दिन को याद रखने के लिए 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था।
इस इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गयी।

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश के निर्माण
में श्रमिकों के योगदान को याद करने के लिए और उन्हें सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।


1880 का दशक अमेरिका समेत एवं पश्चिमी देशों में औद्योगिकरण विकसित हो रहा था।
मजदूरों से 15 15 घंटे काम करवा लिया जाता था। सूर्योदय से सूर्यास्त तक उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।


अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियन के संगठन फेडरेशन का ऑर्गेनाइजेशन ट्रेड्स और मजदूर यूनियन ने तय किया था कि मजदूर 1 में 1886 के बाद रोजाना रोजाना 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे।

इसलिए अमेरिका में मजदूर आलोक आलोक शहरों में उनके शोषण के खिलाफ हड़ताल करने लगे। और यहीं से बड़े श्रमिक आंदोलन की शुरुआत हो गई थी। पूरे अमेरिका में मजदूर रोड पर उतर आए।

श्रमिकों का आंदोलन चलाते वक्त अमेरिका में कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चलाई दी थी।
बहुत सारे मजदूरों की मौत हो गई थी। और बहुत ज्यादा मजदूर घायल हो गई थे इस आंदोलन में।

इसके बाद 1889 में जब पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हो गई थी। तो 1 मई को 
मजदूरों को समर्पित करने का फैसला लिया गया। 
और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस या कामगार दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत होने लगी। 

आज जो कामकाजी वर्ग के लिए पूरे दिन में काम के 8 घंटे तक किए हैं। तो यह बात इस अमेरिका में हुए उस मजदूर आंदोलन की ही देन है।

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत


भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई थी। भारत में लेबर मजदूर किसान पार्टी ऑफ  हिंदुस्तान ने न 1 मई को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। 


भारत में पहली बार मजदूर आंदोलन की शुरुआत हो गई थी। जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टीयां कर रही थी। दुनिया भर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

इंटरनेशनल लेबर डे और मे डे(International labour day or May day) लेबर डे, मई डे,
कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे के नाम से भी जाना जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय कामगार दिन मजदूरों को और श्रमिकों के लिए समर्पित किया गया है। 

 भारत में भी कई राज्य सरकारें अपने यहां अवकाश घोषित करती है। यह दिन मजदूर और श्रमिक वर्ग की उपलब्धि को और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को सलाम करने के लिए कामगार दिन मनाया जाता है। 

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों की उपलब्धियां का सम्मान करना है। और उनके द्वारा किए गए योगदान को याद करने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है।

यह दिन मजदूरों को संगठित कर आपसी एकता मजबूत करने के लिए और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए भी इस दिन का महत्व है। 
 
यही वजह है की बहुत सारे मजदूर या श्रमिक संगठन आज के दिन रॅलीया निकलते हैं, सम्मेलन सभाएं और कई तरीके कार्यक्रम करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कामगार दिन पर मजदूरों की अनेक प्रकारों की समस्या उनके प्रश्न और उसके समाधान के लिए मंथन किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन आईएलओ द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। 

कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी अखबार और रेडियो इस प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर लोगों को जागृत करने के लिए कार्यक्रम  प्रसारित किए जाते हैं।

Conclusion:


अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस(International labour day)या मजदूर दिवस प्रतिवर्ष 1 मई को ही मनाया जाता है। यह दिन श्रमिक वर्ग की 
कड़ी मेहनत और उपलब्धियों का सम्मान करता है। कई देशों में मई दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस श्रमिक वर्ग को अपने अधिकारों को समझने और कार्य स्थल पर समानता के लिए संघर्ष करने में भी मदद करता है। सबसे पहले मजदूर आंदोलन अमेरिका में हुआ था। भारत की मद्रास में यह आंदोलन सबसे पहले हुआ था। इस ब्लॉक आर्टिकल  कल में हमने आपको मजदूरों का इतिहास और मजदूर दिन क्यों मनाया जाने की पीछे की बात पर ब्लॉग लिखा है। ऐसे ही हमारे ब्लॉग आर्टिकल को पढ़ने के लिए हमें फॉलो करें।


FAQ:


1. मजदूर दिवस पर लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के झंडे का रंग क्या था। 


हिंदुस्तान की लेबर किसान पार्टी ने मजदूर दिवस पर यानी की अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए लाल झंडे का इस्तेमाल करते हैं। 

2.भारत में पहला मजदूर दिवस किसने मनाया था?


 मद्रास प्रेसीडेंसी में आत्म सम्मान के लिए आंदोलन के नेता कामरेड  सिंगरावेलर ने हिंदुस्तान की मजदूर किस पार्टी के बाद भारत में पहला मजदूर दिवस मनाया था।

3. मजदूर दिवस के बारे में क्या बड़ी बात है?


 यह 19 वीं सदी के अंत में श्रमिक आंदोलन द्वारा बनाया गया था। 1894 में एक संघीय अवकाश बन गया। मजदूर दिवस कई अमेरिका के लिए गर्मियों के अंत का प्रतीक भी है। और इससे पार्टीयां परेड और एथलेटिक कार्यक्रमों के साथ  मनाया जाता है।

4. मजदूर दिवस  के जनक कौन थे?


मजदूर दिवस के संस्थापक यानी की मजदूर दिवस के जनक दो लोगों में से एक हो सकते हैं  अमेरिकन  फेडरेशन ऑफ लेबर के संस्थापक 
पीटर जे, मैकगायर 

5.2020 में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का विषय क्या था? 


2020 में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का विषय कार्य स्थल पर सुरक्षा बनाए रखना था।