Akshaya tritiya 2025: अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया तिथि को 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार साल का अक्षय तृतीया को सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन शुभ कार्य करने के लिए पंचांग में देखना आवश्यक माना नहीं जाता है। हर साल इसी दिन परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस आर्टिकल में हम आपको अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? और उसके महत्व के बारे में बताएंगे।
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अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? (Akshaya tritiya 2025)
अक्षय तृतीया एक बहुत शुभ दिन है। इस दिन को हिंदू धर्म में कई कारणों से मनाया जाता है।
सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम का जन्म हुआ था।
इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग की शुरुआत भी इसी दिन हुई थी।
1. परशुराम का जन्म
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तिथि को मनाई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु का छठवें अवतार परशुराम का जन्म माता रणुका
और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था।
उन्हें चिरंजीवी भी माना गया है। इसलिए इसी दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाता है।
2. सतयुग की शुरुआत
पौराणिक मान्यता के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को ही सतयुग जिसे सुवर्ण योग भी कहा जाता है की शुरुआत हुई थी।
इसलिए इस दिन का महत्व है।
3.अक्षय फल
अक्षय तृतीया को अबुझ मुहूर्त माना जाता। है कहा जाता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य का फल मिलता है।और ये फल अक्षय होता है।
अक्षय तृतीया पर दान, हवन, जप ,स्नान और पूजा करने से जीवन भर पुण्य मिलता है
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इसलिए इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग में देखने की आवश्यकता नहीं है।
4.दान और पुण्य
लोगों का कहना है कि अक्षय तृतीया के दिन दान-धर्म और पुण्य करने से इसका फल अच्छा मिलता है।
इसलिए इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
इस दिन किए गए दान का अक्षय फल प्राप्त होता है।
5. नई शुरुआत
अक्षय तृतीया को एक नई शुरुआत के लिए भी शुभ दिन माना जाता है।
इसलिए इसी दिन को लोग नए व्यापार ,संपत्ति या किसी अन्य शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया पर विवाह, गृह प्रवेश और अन्य चीजों की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सोना-चांदी और इससे बनी आभूषण की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया की तिथि स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त मानी गई है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश घर भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी जैसे कार्य करने पर इसका लाभ अवश्य मिलता है।
इसी दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से
घर में सुख-समृद्धि आती है।
इसलिए हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व होता है।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को आखा तीज और कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि को हुआ था। धार्मिक नजर से अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व है।
इसलिए इसे युगादि तिथि के नाम से भी जाना है।
Parshuram jayanti 2025: पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम जो कि विष्णु की छठे अवतार है। परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे। हर साल परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
परशुराम सन्यासी स्वरूप होने के कारण, परशुराम एक योद्धा ऋषि थे। जिनका तप, शास्त्र और धर्म की रक्षा पर केंद्रित था। इसलिए परशुराम की पूजा केवल अक्षय तृतीया के दिन ही की जाती है।
1. अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व
अक्षय तृतीया की शुभ अवसर पर दान करने का विशेष महत्त्व है। लोगों का मानना है कि इस दिन दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
साथ में माता लक्ष्मी की पूजा करने से माता की कृपा सदैव बनी रहती है।
तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी।
मान्यता है कि अक्षय तृतीया से ही वेद व्यास जी ने महाभारत लिखने की शुरुआत की थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन परशुराम का जन्म हुआ था।
और इसी तिथि पर भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को
अक्षय पात्र दिया था।
अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि इस दिन स्नान, जप, होम, तर्पण आदि जो भी कार्य, कर्म किए जाते हैं, वे सब अक्षय हो जाते है।
अक्षय तृतीया की तिथि पर सोना खरीदने का विशेष महत्व होता है।
2. अक्षय तृतीया के दिन हुआ कई युगों का आरंभ
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। इसके पीछे बहुत सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
माना जाता है कि इसी दिन कई युगों की शुरुआत हुई थी। जैसे कि सतयुग, द्वापर युग और त्रेतायुग
का भी आरंभ हुआ था।
3. श्री कृष्ण-सुदामा मिलन
पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही श्री कृष्णा और सुदामा का भेट हुई थी।
सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने के लिए और उनसे अपनी गरीबी के कारण सहायता मांगने के लिए आए थे।
श्री कृष्ण ने सुदामा का स्वागत करके उनके कच्चे चावल खा लिया।
और सुदामा के बिना कुछ मांगे ही उनको घर और
बहुत सारी संपत्ति दी।
सुदामा ने घर जाकर गहनों से लदी अपनी पत्नी को देख लिया। उन्हें लगा कि वह गलत जगह आ गया है लेकिन पत्नी ने पूरी घटना बताई।
सुदामा को पता चला कि अपने परम मित्र श्री कृष्ण ने बिना कुछ कहे उन्होंने सब कुछ उसे दे दिया है।
इसी के कारण इस दिन को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है।
4.महाभारत लिखा
पौराणिक कथा के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन
वेद व्यास जी ने प्रथम पूज्य गणेश जी के साथ मिलकर महाभारत लिखना आरंभ किया था।
इसी दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है।
इसलिए इसी दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 29 अप्रैल को 5:30 pm बजे से लेकर 30 अप्रैल को 2:12 बजे तक रहेगा।
अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। और इस दिन पूजा और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त शुबह 5:41 से दोपहर 12:18 तक रहेगा।
सोना खरीदने का शुभ समय सुबह 5:41 से 2:12 तक है।
इस दिन सोना, चांदी और नई चीज खरीदने को भी शुभ माना जाता है।
Conclusion:
(Akshaya tritiya 2025)हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 बुधवार को ही मनाई जाएगी। अपने इस ब्लॉक आर्टिकल में देखा कि अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?और उसका महत्व, शुभ मुहूर्त। अक्षय तृतीया को ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। और अक्षय तृतीया को ही मां गंगा अवतरित हुई थी।इसी दिन श्री कृष्णा और सुदामा का मिलन होने के साथ ही श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था। आपने इस ब्लॉग आर्टिकल में पढ़ा कि अक्षय तृतीया के दिन ही वेदव्यास जी ने महाभारत लिखी थी। और सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग की शुरुआत इसी दिन हुई थी। इसी दिन माता लक्ष्मी और विष्णु, कुबेर की पूजा की जाती है। सोना चांदी खरीदने के साथ इस दिन जप, स्नान ,पूजा करने का अक्षय शुभ फल मिलता है।
आशा करते हैं कि आपको यह ब्लॉग आर्टिकल पसंद आया होगा। ऐसे ही जानकारी पाने के लिए हमें फॉलो करें eventtodays.com पर धन्यवाद।
FAQ:
1. अक्षय तृतीया के दिन क्या-क्या खरीदना शुभ होता है?
अक्षय तृतीया के दिन सोना चांदी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग बहुमूल्य धातुओं की खरीदारी करते हैं। इस दिन को अबुझ मुहूर्त माना गया है। इसलिए इस दिन गाड़ी, नया घर, कपड़े आदि खरीदना शुभ होता है।
2. अक्षय तृतीया पर किस देवता की पूजा करनी चाहिए?
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और विष्णु जी की पुजा की जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी को धन और समृद्धि ,सौभाग्य की देवी माना गया है। इस दिन की गई पूजा का फल अक्षय मिलता है।
3. अक्षय तृतीया पर हमें क्या नहीं करना चाहिए?
अक्षय तृतीया दिन किसी भी पाप या नकारात्मक कार्य जैसे चोरी, झूठ बोलना,जुआ खेलना या बहस में शामिल होना आदि से दूर रहना चाहिए।
माना जाता है कि ऐसे कार्य आपके घर से समृद्धि को दूर भगाते हैं।
4. अक्षय तृतीया पर नमक क्यों खरीदते हैं?
वास्तु और आयुर्वेद में ऐसा माना जाता है कि सेंधा नमक किसी स्थान से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। स्नान या खाना पकाने में उपयोग करने पर शरीर के ऊर्जा को संतुलित करता है। इसलिए अक्षय तृतीया पर लोग अपने जीवन के रूकावटों को दूर करने के लिए सेंधा नमक खरीदते हैं।
5. अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु छठवें अवतार परशुराम का जन्म हुआ था।
इसी दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं।
अक्षय तृतीया दिन ही सतयुग, द्वापर युग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी।