Ganpati chaturthi 2025: हर साल गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेशजी के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह गणेश उत्सव का पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। और महाराष्ट्र गुजरात कर्नाटक सहित पूरे भारत में मनाया जाता है। इस साल गणेश उत्सव का त्यौहार 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। सभी के मन में Ganesh chaturthi kab hai? यह सवाल आया होगा। और गणित उत्सव क्यों मनाया जाता है? सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व, इतिहास गणपति स्थापना पूजा विधि, गणपति विसर्जन, गणपति डेकोरेशन इस सभी के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
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Ganesh chaturthi 2025 |
गणपति फेस्टिवल कब है? (Ganpati festival kab hai)
गणपति का त्यौहार केवल एक धार्मिक आस्था नहीं है बल्कि संस्कृति के एकता का प्रतीक भी है। भारत में गणेश चतुर्थी के दिन का सभी लोग इंतजार करते हैं। हर भक्त "गणपति बप्पा मोरिया"कहकर बड़े जल्लोष के साथ गणेश जी की स्थापना करते है। इस साल 27 अगस्त को गणपति उत्सव मनाया जाएगा।
1.गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 में शुरू हो रही है।
27 अगस्त को दोपहर 3: 44 मिनट पर चतुर्थी तिथि खत्म होगी।
सनातन धर्म में किसी भी कार्य के लिए उदय तिथि का ही महत्व होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी 2025 का फेस्टिवल बुधवार 27 अगस्त को मनाया जाएगा।
गणेश स्थापना का मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है।
गणेश विसर्जन शनिवार 6 सितंबर 2025 अनंत चतुर्दशी के दिन होगा।
गणेश चतुर्थी पर स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान गणेश की प्रतिमा को साफ सुथरा रखें। और पवित्र स्थान पर रखें।
पीले या लाल कपड़े से मूर्ति को गणेश जी के मूर्ति को सजाएं।
दूर्वा, मोदक, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
गणेश मंत्र का पाठ करें। परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हो। प्रतिदिन सुबह शाम मोदक का नैवेद्य गणपति बप्पा के आगे रखें।
गणेश स्थापना का मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है।
1.गणपति डेकोरेशन Ganesh Decoration)
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव का त्यौहार है, जो समृद्धि बुद्धि और सौभाग्य के देवता है और जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।
गणपति का स्थान मंडप और फूलों से सजाया जाता है। लंबे पीले और नारंगी गेंदे के फूलों की लड़िया ले। और मंडप को मंदिर के आकार में भी सजाएं।
एक कांच के जार में गुलाब और गेंदे के फल
या फूलों की पंखुड़ियां भरे और अपने मंदिर को चारों ओर सजाएं।
गणेश उत्सव का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता यानी कि संकट को टालनेवाला माना जाता है। इसलिए लोग गणेश जी से अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
गणेश जी को धन, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। और गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि का भी प्रतीक माना जाता है।
गणेश उत्सव एक सामाजिक त्योहार भी है
जो लोगों को एक साथ लाता है चाहे उनकी जाति या पेंट कोई भी हो। लोग गणेश उत्सव पर एकजुट होते हैं। इसलिए यह उत्सव एकता का प्रतीक भी हो जाता है।
पुणे में लोकमान्य तिलक ने गणपति की स्थापना की। लोकमान्य तिलक ने गणेश फेस्टिवल को
सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में मनाने की शुरुआत की। ताकि समाज के सभी ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट हो जाएं।
गणेश उत्सव के दौरान लोग भगवान गणेश की मूर्तियों को अपने घरों या सार्वजनिक स्थानों में स्थापित करते हैं। और फिर 10 दिनों के लिए गणेश जी की पूजा करते हैं। उसके बाद मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है। और विसर्जन सृष्टि और प्रलय के चक्र का प्रतीक भी है।
गणेश उत्सव को गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। यह गणेश जी के जन्म का उत्सव है लोग अपने ऊपर की विघ्न को दूर करने के लिए गणेश जी की पूजा करते हैं।
गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। की पूजा किया बिना कोई भी कार्य संपूर्ण माना जाता नहीं है। कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसलिए गणेश जी त्यौहार का भारत में बड़ा ही महत्व है।
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गणेश उत्सव का इतिहास
1.सार्वजनिक उत्सव (लोकमान्य तिलक)
मान्यता है कि गणेशोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है। महाराष्ट्र में पुणे जिले में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में इसे एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में मानना शुरू किया था। ताकि अंग्रेजों के खिलाफ लोग एक होकर लगे और संघर्ष कर सके। कहा जाता है कि इससे पहले यह उत्सव पारिवारिक था। ऐसे मराठा शासक और पेशवाओं द्वारा मनाया जाता था। लोकमान्य तिलक ने इस उत्सव को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में बदल दिया क्योंकि लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना जागृत हो सके।
आज का गणेशोत्सव पूरे भारत भर में और दुनिया भर में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। जो 10 दिनों के लिए मनाया जाता है।
2.गणेश जी की स्थापना(शिवाजी महाराज)
गणेशोत्सव की शरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे में हुई थी। इस त्यौहार का यानी कि गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य की सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भारत में मुगल शासन था। तब शिवाजी छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी सनातनी संस्कृति बचाने के लिए अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी।
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा गणेश चतुर्थी यानी की गणेशोत्सव की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य की पेशवा भी यह त्यौहार मानने लगे थे।
गणेश चतुर्थी के त्यौहार में ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता था और इस दिन दान पुण्य भी किया जाता था।
पेशवाओं के बाद जब भारत पर ब्रिटिश शासन आया। तब अंग्रेजों ने यह उत्सव को रोक लगा दी थी। लेकिन फिर लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र में पुणे जिले में यह उत्सव फिर से सार्वजनिक रूप में मनाने की शुरुआत कर दी। तभी से आज तक पुणे में गणेशोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
भगवान गणेश(Lord Ganesha)को विघ्नहर्ता बुद्धि के देवता और मंगल कर्ता माना जाता है। मान्यता है कि
उनकी पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है और सुख समृद्धि आती है।
भारत के प्रमुख गणेश उत्सव स्थल
गणेश चतुर्थी भारत के सभी हिस्सों में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है।
1. महाराष्ट्र
भारत के महाराष्ट्र राज्य में यह त्यौहार बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। लोग हर घर में और सार्वजनिक स्थानों पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं। और उन में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। पंडालों को फूलों, रोशनी और अन्य सजावट से सजाया जाता है। गणपति उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है। इन 10 दिनों में लोग एकजुट हो जाती है। सांस्कृतिक कार्यक्रम अन्य स्पर्धा का इस दौरान आयोजित किया जाता है। बच्चों को अपनी कला दिखाने की मौका इस कार्यक्रम में मिल जाता है। सभी लोग एक होकर यह त्यौहार मनाते हैं। भक्त लोग भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए और संस्कृति उत्सव में भाग लेने के लिए पंडालों में जाते हैं।
मुंबई का लालबागचा राजा, पुणे का दगडूसेठ हलवाई गणपति ये महाराष्ट्र में गणपति के प्रसिद्ध स्थान है।
2. आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में त्योहार को विनायक चविथि में के नाम से जाना जाता है। यहां भी महाराष्ट्र की तरह ही आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। आंध्र प्रदेश की रीति रिवाज में कुछ मामूली अंतर है।
हैदराबाद का खैराबाद गणेश प्रसिद्ध है।
3. कर्नाटक
कर्नाटक में इस त्यौहार को गणेश हब्बा के नाम से जाना जाता है। यहां हिंदू धर्म के लोग जैन धर्म के लोगों के साथ मिलकर बड़े उत्साह के साथ गणेश चतुर्थी मनाते हैं। भक्त अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। और भगवान गणेश के आगे फल-फुल, दूर्वा, मोदक के आदि रखते हैं।
4. तमिलनाडु
तमिल नाडु में इस त्यौहार का नाम विनायक चतुर्थी है। इसे कर्नाटक की तरह ही मनाया जाता है। हालांकि रीति रिवाज और कुछ मामलों में अंतर है?
कैसे हुई गणपति विसर्जन की शुरुआत
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश मूर्ति की स्थापना की जाती है। उसके बाद 10 दिन तक यह त्यौहार मनाया जाता है। और दसवें दिन के बाद गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। किसी के मन में यह प्रश्न आता होगा कि हम गणेश जी की बड़े श्रद्धा के साथ और धूमधाम से मूर्ति स्थापना करके 10 दिन तक पूजा करते हैं। तो पूजा करने के बाद उन्हें जल में विसर्जित क्यों किया जाता है?
पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणपति जी से महाभारत की रचना को क्रमबद्ध करने के लिए प्रार्थना की थी। गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी श्लोक बोल रहे थे और गणेश जी इस लिखित रूप में लिख रहे थे। यह 10 दिनों तक लगातार गणेश जी लिख रहे थे। इस दौरान गणेश जी के ऊपर बहुत सारी धूल मिट्टी की परतें चढ़ गई थी। गणेश जी ने इस मिट्टी को साफ करने के लिए 10 वे दिन चतुर्थी के दिन पर सरस्वती नदी में स्नान स्थान किया था।
मान्यता है कि तभी से गणेश जी को पूरे विधि विधान से विसर्जित करने की परंपरा है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इन 10 दिनों में भगवान गणेश पृथ्वी पर भ्रमण करते है, जहां उनके भक्तों उनका स्वागत करते हैं अपने घर सेवा के लिए आमंत्रित करते हैं। इस त्यौहार में घर घर में और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। यह त्यौहार 10 दिन तक चलता है। और अनर्थ चतुर्दशी को समाप्त हो जाता है।
भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और भक्तों ने विदाई देते हैं अगले साल आने के लिए वचन मांगते हैं।
1.पर्यावरण अनुकूल विसर्जन का महत्व
आज के समय में प्लास्टर ऑफ पेरिस(POP)
की मूर्तियां नदियों और समुद्र के जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाती जाती है। इसलिए इको फ्रेंडली मिट्टी के गणपति के मूर्तियां बनाई जाती है। कृत्रिम विसर्जन टैंक का उपयोग भी करने से जल साधनसंपत्ती का नुकसान रोका जा सकता है।
भक्तगण गणेश जी को विसर्जन करने के बाद "गणपति बप्पा मोरया" अगले बरस तू जल्दी आ कहकर बप्पा का विसर्जन करते हैं।
महाराष्ट्र के अष्टविनायक(Ashtavinayak)
महाराष्ट्र के अष्ट गणपति इसे अष्टविनायक भी कहा जाता है। यानी कि इसका अर्थ होता है आठ गणेश है। यह महाराष्ट्र में स्थित आठ गणेश मंदिरों के एक समूह को संदर्भित करता है। यह मंदिर पुणे शहर के आसपास है प्रत्येक मंदिर में भगवान गणेश की एक अलग ही विशिष्ट पूर्ण में मूर्ति है।
आठ मंदिरों में से 6 भारत के पुणे शहर में और दो मंदिर रायगढ़ के आसपास स्थित है। माना जाता है कि इन आठ अलग-अलग मंदिरों में एकता समृद्धि शिक्षा और विघ्नों को दूर करने वाले हिंदू देवता गणेश की आठ अलग-अलग मूर्तियां हैं।
इन मंदिरों में से प्रत्येक की अपनी एक विशेष कथा और इतिहास है, जो एक दूसरे से भिन्न है इसलिए प्रत्येक मंदिर की मूर्तियों में भी भिन्नता दिखाई पड़ती है।
गणेश जी की मूर्तियों की भिन्नता उनके रूप और गणेश जी की सुंड में स्पष्ट दिखाई देती है। महाराष्ट्र में विभिन्न हिस्सों में गणेश जी के आठ अन्य मंदिर भी प्रसिद्ध है परंतु सबसे लोकप्रिय विशेष रूप से पुणे के आसपास स्थित मंदिर है।
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अष्टविनायक की यात्रा पूरी करने के लिए सभी आठ मंदिरों के दर्शन करने के बाद पहले मंदिर का दर्शन फिर से करना पड़ता है।
1. मयूरेश्वर
मयूरेश्वर यह मंदिर पुणे जिले के मोरगांव में आता है। मान्यता है कि अष्टविनायक की तीर्थ यात्रा करने का प्रारंभिक और मुख्य मंदिर है।
2. सिद्धीविनायक
सिद्धिविनायक यह गणपति जी का मंदिर अहिल्या नगर जिले में आता है। यह मंदिर भीमा नदी के किनारे पर है।
3. बल्लालेश्वर
बल्लालेश्वर अष्टाविनायक गणेश जी का मंदिर रायगढ़ जिले के पाली गांव में आता है।
4. वरद विनायक
वरद विनायक यह मंदिर भी रायगढ़ जिले के महाड गांव में आता है।
5. चिंतामणि
चिंतामणि नामक गणेश मंदिर पुणे जिले के थेऊर गांव में आता है।
6. गिरजात्मज
अष्टविनायक मंदिरों में से गिरजात्मज नामक गणेश मंदिर पुणे जिले के एक पहाड़ीयों में लेण्याद्री गांव में स्थित है।
7. विघ्नेश्वर
विघ्नेश्वर गणपति मंदिर पुणे जिले के ओझर गांव में है।
8. महागणपति
महागणपति यह गणपति का मंदिर पुणे जिले क
पुणे जिले के रांजणगांव में स्थित है।
अष्टविनायक तीर्थ यात्रा का फल इन आठ मंदिरों के दर्शन करने से मिलता है यह यात्रा पुणे से शुरू होती है और इन मंदिरों के क्रमानुसार दर्शन का पालन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?(Ganesh chaturthi kyun manayi jati hai)
गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह त्यौहार धार्मिक अनुष्ठान के साथ सामूहिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाने वाला त्यौहार है। गणेश चतुर्थी मुख्यतः भारत के महाराष्ट्र राज्य में उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश को ज्ञान, समृद्धि, बुद्धि देवता और विघ्नों को दूर करने वाला देवता माना जाता है। इसे हाथी के सिर वाला देवता कहा जाता है गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं इसकी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं हैं।
1. पार्वती ने अपने हाथों से गणेश जी की रचना की
माता पार्वती को स्नान करना था इसलिए कोई ना अचानक से आ जाए इसके डर से पार्वती ने अपनी आज्ञा मानने वाला अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न किया। इस बालक को पार्वती ने द्वारपाल बना दिया और खुद स्नान करने के लिए चली गई। जब भगवान शिव घर लौटे तो होने गणेश जी ने भीतर जाने से रोक दिया जो शिव जी के पहचान से अनभिज्ञ थे। भगवान शिव ने भीतर जाने का है किया लेकिन बालक नहीं माना। इस अज्ञात बालक के दुस्साहस से क्रोधित होकर शिवजी ने गणेश का सिर काट दिया।
जब पार्वती को यह बात पता चली तो वह भी बहुत क्रोधित हो गई। निशांत करने के लिए सभी देवी देवताओं कैलाश पर्वत पर आ गए। उन सभी ने पार्वती को शांत करने का प्रयास किया लेकिन पार्वती ने कहा जब तक मेरा बालक जीवित नहीं होगा तब तक मैं शांत नहीं होगी। उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत हुए अभी देवी देवताओं ने देव ऋषि नारद की सलाह पर जगदंबा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।
शिवजी के निर्देश के अनुसार भगवान विष्णु जी
पृथ्वी पर चले गए। और उन्होंने उत्तर दिशा में सबसे पहले मिलने वाले हाथी का सिर काट कर ले आए। और मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। तब माता पार्वती बहुत खुश हुई और उसे गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और सभी देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया।
ब्रह्मा विष्णु महेश ने उसे बालों को सर्वाध्यक्ष घोषित कर दिया। और अग्र पूज्य होने का वरदान भी दिया। गणेश जी को सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा का मान मिल गया। भगवान शंकर ने बालक गणेश जी से कहा कि है गिरिजा नंदन विघ्न दूर करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जाएगा। गणेश जी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुए थे। इसलिए इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। और सभी सिद्धियां प्राप्त गणेश जी की करने से हर संकट से छुटकारा मिलता है।
भगवान गणेश बुद्धि विवेक और समृद्धि की देवता मानी जाती है। उनकी पूजा से जीवन में सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और सौभाग्य प्राप्त होता है।
घर पर गणपति स्थापना कैसे करें?
गणपति स्थापना के लिए इको फ्रेंडली मूर्ति चुने ताकि जल प्रदूषण को रोका जा सके।
प्रतिदिन सुबह और श्याम ऐसे दो बार आरती करें और प्रसाद बांटें
घर के सभी सदस्य गणेश पूजा में भाग ले ऐसे में सभी एकजुट होकर घर के सदस्यों में प्रेम भावना निर्माण होती है।
गणपति विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब या बाल्टी विसर्जन का विकल्प अपनाएं।
निष्कर्ष (Conclusion)
गणेश चतुर्थी यानी कि गणेशोत्सव केवल पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि प्रेम एकता और भक्ति का उत्सव है। इस ब्लॉग आर्टिकल में गणेश चतुर्थी कब है? (Ganesh chaturthi kab hai)उसका महत्व, शुभ मुहूर्त, इतिहास इस सब के बारे में हमने विस्तार से बताया है ऐसे ही सण , उत्सव, घटना, दिन के बारे में जानने के लिए हमारे eventtodays.com ब्लॉग को फॉलो करें।
FAQ
1.गणेश चतुर्थी कब है?(Ganesh chaturthi kab hai)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर होगा, जिसका समापन अगले दिन यानी 27 अगस्त को 03 बजकर 44 मिनट पर होगा. सनातन धर्म में किसी भी कार्य के लिए उदय तिथि का महत्व ज्यादा होता है। इसलिए उदयातिथि के आधार पर 27 अगस्त 2025 को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.
2.इस साल 2025 में गणेश विसर्जन कब है?
2025 में गणेश विसर्जन 6 सितंबर, शनिवार को होगा, जो अनंत चतुर्दशी का दिन होता है।
गणेश विसर्जन, जिसे अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, गणेश चतुर्थी के 10 वें दिन में मनाया जाता है, जो इस वर्ष 6 सितंबर को है. इस दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को "गणपति बप्पा मोरया" अगली बरस जल्दी आ ऐसा कहकर पानी में विसर्जित करते हैं.
3.गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?
गणेश स्थापना का मुहूर्त 27 अगस्त 2025 के सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है।
4.गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में सभी विघ्न दूर होते हैं और सौभाग्य प्राप्त होता है।
5.गणपति का डेकोरेशन कैसे करें?
गणपति का स्थान मंडप और फूलों से सजाया जाता है। लंबे पीले और नारंगी गेंदे के फूलों की लड़ियां ले। और मंडप को मंदिर के आकार में भी सजाएं।
एक कांच के जार में गुलाब और गेंदे के फल या फूलों की पंखुड़ियां भरे और अपने मंदिर को चारों ओर सजाएं।