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Happy Raksha Bandhan 2025 |
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन हिंदुओं का त्यौहार है। यह त्यौहार हर साल श्रावण माह के सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। साल इस साल 9 अगस्त 2025 को सावन की पूर्णिमा के दिन यह त्यौहार मनाया जाएगा। रक्षाबंधन एक ऐसा मानसूनी त्यौहार है। यह सावन महीने की यानी की वर्षा ऋतु में आता है। संस्कृत में रक्षाबंधन का अर्थ है सुरक्षा की गांठ। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। इस त्यौहार को मनाने की पीछे कई रहस्यमई कहानियां है। कभी-कभी मन में यह ख्याल आता होगा। रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? उसका महत्व है क्या है। रक्षाबंधन मनाने की पीछे कहानी और इतिहास, रक्षाबंधन कैसे मनाते हैं? यह जानने के लिए के लिए इस ब्लॉग आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
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रक्षाबंधन कब है?
रक्षा बंधन का त्यौहार सावन माह की सावन पूर्णिमा यानी 9 अगस्त 2025 को मनाई जाएगा।
भाई को राखी बांधने का सही समय 5 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर को 24 मिनट तक है। दोपहर के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसलिए दोपहर तक ही राखी बांधने का सही समय है।
भाई-बहन के अटूट प्रेम बंधन और सौभाग्य के आगमन का उत्सव मनाने के लिए श्रावण मास को पवित्र माना गया है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है।
रक्षाबंधन को राखी के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया भर में रक्षाबंधन एक भाई बहनों के बीच प्रेम सम्मान जिम्मेदारी और भावनिक बंधन का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है, यह खुशी का त्यौहार है।
संस्कृत में 'रक्षाबंधन' का अर्थ है सुरक्षा की गांठ।
रक्षाबंधन की उत्पत्ति प्राचीन काल से मानी जाती है। हिंदू धर्म ग्रंथ में भी रक्षाबंधन के कई विवरण मिलते हैं।
1. इंद्र की पत्नी इंद्राणी (शची)
पौराणिक कहानी के अनुसार इंद्र की पत्नी शचि ने अपने पति इंद्रदेव की शक्तिशाली राक्षस राजा बलि के विरुद्ध होने वाले युद्ध के दौरान इंद्रदेव की रक्षा के लिए उनके कलाई पर एक धागा बांधा था।
इंद्राणी यानी शची ने देवराज इंद्र को श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधी थी। यह घटना तब हुई जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था।
तो बृहस्पति ने इंद्राणी को सलाह दी की इंद्र को पवित्र धागा कलाई पर बांधों।
इस घटना के बाद से रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
कहते हैं कि सबसे पहले देवराज इंद्र की पत्नी शची ने ही राखी बांधी थी और तभी से राखी बांधने की परंपरा चली आई है।
इस कथा से मालूम होता है कि प्राचीन भारत में भागों का उपयोग ताबीज के रूप में किया जाता था। जो युद्ध में जाने वाले पुरुषों को सुरक्षा प्रदान करता था। और यह केवल भाई बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं था।
2. देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी
विष्णु पुराण और कई भागवत कथाएं और अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करते हैं तब राजा बलि विष्णु से उनके महल में रहने के लिए विरोध करते हैं।
विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी को यह बात मंजूर नहीं थी और उन्होंने राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया। इस भाव से प्रभावित होकर राजा बलि उनकी इच्छा पूरी करती है। और लक्ष्मी विष्णु से घर लौटने का अनुरोध करती है।
कहते हैं कि प्यार और विश्वास में बहुत बड़ी ताकत होती है। निश्छल प्रेम किसी के लिए भी सुरक्षा कवच का काम करता है। विश्वास के रूप में बांधा गया धागा भी दिव्य कवच का रूप धारण कर लेता है।
3. द्रौपदी और भगवान श्री कृष्ण का प्यार
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहते हैं कि जब एक बार श्री कृष्ण की उंगली को चोट लगती है। तो द्रौपदी अपने साड़ी का पल्लू फाड़कर श्री कृष्णा के उंगली पर पट्टी बांध देती है। द्रौपदी श्री कृष्ण की बहन थी। और अपनी बहन द्रोपदी का उनके प्रति स्नेहा और प्रेम भाव देखकर श्री कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया था।
और तभी से भाई बहन की प्यार के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है।
4. भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक
रक्षाबंधन भाई बहन के बीच प्रेम स्नेहा और कर्तव्य के बंधन का त्यौहार है।
रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम के साथ सुरक्षा के बंधन का भी त्योहार माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है।
राखी के धागे के बदले में भाई अपनी बहन को हर संकट से बचाने का वचन देता है। यह त्यौहार भाई बहन के प्यार को और बढ़ावा देता है। और एक दूसरे के प्रति प्रेम सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करता है। और समाज में प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
5.देवी मनसा और गणेश जी का प्यार
पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि गणेश की बहन देवी मनसा रक्षाबंधन के त्योहार पर उनसे मिलने आती है और उनकी कलाई पर राखी बांधती है। इससे गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ को प्रेरणा मिलती है।
जो भी रक्षाबंधन मानना चाहता है लेकिन उन्हें अपनी बहन नहीं है। वे गणेश को एक बहन देने के लिए राज करते है जिससे संतोषी मां की उत्पत्ति होती है। तब से तीनों भाई बहन हर साल एक साथ रक्षाबंधन मनाते हैं।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन का यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम और कर्तव्य के संबंधित है।
रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई को राखी बांधती है। भाई अपनी बहन के साथ सदैव रहे और उनकी रक्षा करता रहे। यह परंपरा हमारे भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित है। यह श्रावण पूर्णिमा का बहुत बढ़ते हुआ है।
रक्षाबंधन अर्थात संरक्षण करने का एक अनुठा रिश्ता जिसमें बहन अपनी भाई के कलाई पर राखी का धागा बांधती है। जब बहनें अपने भाइयों के घर जाती है। जिनके भाई नहीं होते वह अन्य किसी को भी अपना भाई बनकर उसे राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की परंपरा सदियों पुरानी है। रक्षा बंधन भाई बहन की प्रेम और सुरक्षा का त्यौहार है। बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपनी बहनों को रक्षा करने का वचन देते हैं। यह त्यौहार भाई-बहन के बच
मजबूत बंधन का प्रतीक है।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
कहते हैं कि प्यार और विश्वास में बहुत बड़ी ताकत होती है। रक्षाबंधन ही बहन भाई का प्यार का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन जिसे राखी या रक्षाबंधन के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में रक्षाबंधन का अर्थ है सुरक्षा की गांठ।
रक्षाबंधन श्रावण माह की पूर्णिमा को शुभ समय पर मनाया जाता है। बहन अपने भाई को राखी बांधने से पहले चावल मिठाई और राखी से भारी एक छोटी पूजा की थाली तैयार करती है। बहाने अपने भाइयों के सामने दीप को गोलाकार घूमाकर उनके माथे पर होली लगाते हुए आरती करते है।
उसके बाद भाई के कलाई पर राखी बांधती है। उसके बाद बहन अपने भाई का मुंह मीठा करती है। और भाई अपनी बहनों को अपने स्नेह के संकेत के प्रति उपहार देते हैं भेट वस्तु देते हैं।
और राखी बांधने के बाद अपने बहन की हमेशा रक्षा करने का वचन देते हैं।
भारत में मनाया जाने वाला रक्षा बंधन एक पवित्र त्यौहार है।
रक्षाबंधन के स्टेटस
1. इसे समझो ना रेशम
का तार भैया
मेरी राखी का मतलब
है प्यार भैया
Happy
Raksha Bandhan
2. साथ पले और साथ बड़े हैं हम
खूब मिला बचपन में प्यार
इसी प्यार को याद दिलाने
आया ये राखी का त्यौहार
रक्षाबंधन की हार्दिक
शुभकामनाएं
3. नाते गुंफले हे रेशमी धाग्याने
वात्सल्य आपुलकी अन् जिव्हाळ्याने
सदैव टिकावे हे बंध नात्याचे
बहिण - भावाच्या निर्मळ प्रेमाचे
रक्षाबंधनाच्या हार्दिक शुभेच्छा
4. हे बंध प्रेमाचे, हे बंध नात्यांचे
असाच टिकू दे हा बंध
रक्षाबंधनाच्या हार्दिक शुभेच्छा
5. कुठल्याच नात्यात नसेल
एवढी ओढ आहे
म्हणूनच भाऊ बहिणीच
हे नातं खूप खूप गोड आहे
रक्षाबंधनाच्या खूप खूप हार्दिक शुभेच्छा
Conclusion:
रक्षाबंधन(Raksha Bandhan 2025)एक हिंदू त्यौहार है। यह पूरे भारत भर मनाया जाता है। इस त्यौहार की शुरुआत प्राचीन भारत काल में ही हुई थी। अनेक पौराणिक कथाएं के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार सदियों से मनाया जाता है। इस आर्टिकल में इस रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?, रक्षाबंधन का महत्व क्या है?, रक्षाबंधन मनाने के पीछे की कहानी क्या है?, रक्षाबंधन कैसा मनाया जाता है। और रक्षाबंधन के स्टेटस के बारे में विस्तृत जानकारी दी हैं।
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FAQ:
1. सबसे पहले राखी किसने बांधी थी?
पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रदेव की पत्नी इंद्राणी यानी की शची ने बृहस्पति के सलाह पर राक्षसों और देवताओं के युद्ध के दौरान इंद्रदेव की रक्षा करने के लिए अपने पति इंद्रदेव को राखी बांधी थी। दूसरी एक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी। रक्षाबंधन पर और एक पौराणिक कथा है, महाभारत में द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधी थी।
2. रक्षाबंधन का सही अर्थ क्या है?
रक्षाबंधन जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुओं का प्राचीन भाई बहन का पवित्र रिश्ते का त्यौहार है। यह त्यौहार भाई-बहन के को बंधन का सम्मान करता है। रक्षाबंधन यह शब्द संस्कृत में है। रक्षा जिसका अर्थ है सुरक्षा और बंधन जिसका अर्थ है बांधना। इसलिए यह सुरक्षा की गांठ या बंधन का प्रतीक है।
3 रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जो भाई बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करता है। रक्षाबंधन भाई बहन के बीच प्रेम, स्नेह, आदर भाव और कर्तव्य के बंधन का त्यौहार है। भाई बहन के प्यार को समाज में प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
4. रक्षाबंधन कब है?
रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा।
5. रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के बीच एक पवित्र बंधन का रिश्ता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है। यह राखी का अर्थ है भाई तुम मेरी रक्षा करना। अपनी बहन की हर संकट में भाई रक्षा करने का वचन देता है। भाई की कलाई पर राखी बांधकर की समृद्धि स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना की जाती है।