Narali purnima 2025: नारली पूर्णिमा कब है? जाने महत्व, पूजा विधि


Narali purnima 2025: नारली पूर्णिमा कब है? जाने महत्व, पूजा विधि
Narali Purnima 2025

Narali purnima 2025:नारली पूर्णिमा, इस त्यौहार को नारियल पूर्णिमा(Nariyal Purnima)भी कहा जाता है। 
भारत में महाराष्ट्र राज्य की कोंकण क्षेत्र में इस त्यौहार को मुख्यतः मनाया जाता है। यह एक हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को समुद्र के तट पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल नारली पूर्णिमा का त्यौहार 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
इस त्यौहार को सांस्कृतिक और धार्मिक बड़ा महत्व है। इसे मुख्यतः महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात दक्षिण भारत के समुद्र तट के भागों में मनाया जाता है। यह समुद्र से जुड़ी सभ्यता और जीवन शैली का प्रतीक है। यह केवल धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि समाज में मछुआरा समुदाय के लिए आस्था, परंपरा का संगम है। आईए जानते हैं इस उत्सव का महत्व और क्यों मनाया जाता है? उसकी पूजा विधि और परंपरा के बारे में।

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 पूर्णिमा 2025 में कब है?


नारली पूर्णिमा 2025 में 9 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन पूरे महाराष्ट्र में और समुद्र तट में इस उत्सव का माहौल होगा विशेष कर मछुआरा समुदाय में। यह त्यौहार सावन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस दिन नारियल का विशेष महत्व होता हैं।
यह त्यौहार मानसून के मौसम के अंत और नई मछली पकड़ने के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इस त्यौहार पर मछुआरे समुद्र को नारियल चढ़ाते हैं। और उनसे सुरक्षित यात्रा और अच्छी मछली पकड़ने की कामना करते हैं।

नारली पूर्णिमा का महत्व 


नारली पूर्णिमा का त्यौहार मछुआरे और जो मछली पकड़ते हैं उनमें यह त्यौहार बड़ा ही लोकप्रिय है। सावन माह की पूर्णिमा को मछुआरे इस त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।

1. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व 

मछुआरे और मछली पकड़ने वाले समुदाय समुद्र के तट में जाकर वरुण देव से सुरक्षा और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं ।

नारली पूर्णिमा महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में यह त्यौहार सामाजिक और सांस्कृतिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोक समुद्र देवता को नारियल चढ़ाते हैं।

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। मछली, नारियल और चावल से बने पारंपरिक खाद्य जैसे नारियल का भात सोलकढी़ और कोंकणी करी बनाया विशेष से  बनाए जाते हैं। और यह पारंपरिक व्यंजन परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खाया जाता है।

यह त्यौहार मानसून के मौसम का अंत का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार के बाद मछुआरे अपनी अपनी नावों और जाल की अच्छी सी मरम्मत करके मछली पकड़ने के लिए दूर-दूर तक समुद्र में जाते हैं।

इस दिन लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। 

2. रक्षाबंधन का पर्व


नारली पूर्णिमा के दूसरे दिन ही रक्षाबंधन का त्यौहार आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और उनके सुख समृद्धि की कामना करती हैं। इस कारण नारली पूर्णिमा और रक्षाबंधन का पर्व धार्मिक और पारिवारिक का बड़ा ही महत्व होता है।


2. पर्यटन और लोक संस्कृति का प्रचार


इस त्यौहार पर और अन्य दिनों में गोवा, अलीबाग, रत्नागिरी, मालवण इस समुद्री तट पर बड़ी संख्या की मात्रा में देसी-विदेशी पर्यटक आते रहते हैं।

यह उत्सव अप्रत्यक्ष रूप से समुद्र की साफ सफाई और संरक्षण जिम्मेदारी और उपयोग का संदेश मिलता है।

नारली पूर्णिमा का त्यौहार मछुआरे के
 एकजुट करता है। यानी की भाईचारे और एकता का प्रतीक माना जाता है यह त्यौहार। इस पारंपरिक त्योहार से उनके जीवन को सम्मान प्रदान करता है।

नारली पूर्णिमा दर्शाता यह त्यौहार दिखता है कि प्राकृतिक और नैसर्गिक साधनों के प्रति  सम्मान जताना।


क्यों मनाते हैं नारली पूर्णिमा?


नारली पूर्णिमा पर नारियल का।बहुत ही बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार पर वरुण देव और समुद्र के देवता की पूजा की जाती है। उन्हें नारियल अर्पित किया जाता है।

लोगों का मानना है कि इस त्यौहार पर समुद्री की पूजा करने से समुद्र देव प्रसन्न होती है और सभी मछुआरों की हर संकट से और और शुभ घटनाओं से उनकी रक्षा करते हैं। 

इस त्यौहार को मछुआरों के लिए मछली पकड़ने और मछली व्यापार का शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। 

मान्यता है कि इस त्यौहार के बाद समुद्र के दवाओं की दिशा और उनकी तीव्रता मछली पकड़ने के अनुकूल हो जाती है।

नारली पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?


लोक नारली पूर्णिमा पर समुद्र देवता की पूजा करते हैं। मछुआरे मछली पकड़ने से पहिले समुद्र देव को प्रसन्न करना चाहते हैं। उनका मानना है 
कि इस पूजा विधि से समुद्र देवता प्रसन्न होते हैं। और उन पर कृपा बरसाते हैं और हर संकट से उनकी रक्षा करते हैं।

1. नारली पूर्णिमा का पूजा विधि


इस त्यौहार पर लोग सुबह जल्दी उठकर समुद्र तट पर जाते हैं और वरुण देव की पूजा करते हैं। समुद्र देवता को नारियल अर्पित किया जाता है।

इस दिन लोग नृत्य,पारंपरिक भोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं।

मछुआरे समुद्र को अपनी देवता मानते हैं क्योंकि समुद्र में मछली पकड़ कर उनका जीवन यापन होता है। वे नावों की भी पूजा करते हैं।

इस त्यौहार पर मुख्य परंपरा यह है कि समुद्र को 
 नारियल चढ़ाया जाता है। मछुआरे अपनी नावों की पूजा करते हैं और उन्हें सजाते हैं। और पूजा करने के बाद नारियल चढ़ाकर सुरक्षित नौकायन और भरपूर मछली मिलने की कामना करते हैं। 

समुद्र तट पर गांव में नावों को रंगी-बिरंगी फूलों,
 झंडो और वस्त्र से सजाया जाता है

नारली पूर्णिमा 2025 स्टेटस 


1.सन आयलाय गो,आयलाय गो
नारळी पुनवेचा,
मनी आनंद मावना 
कोळ्यांच्या दुनियेचा,
नारळी पौर्णिमेच्या हार्दिक शुभेच्छा 

2. श्रद्धेचा नारळ अर्पण करूया सागराला 
सर्व कोळी बांधवांना 
नारळी पौर्णिमेच्या 
 हार्दिक शुभेच्छा

3. सण जिव्हाळ्याचा दिवस आज 
 नारळी पौर्णिमेच्या 
 समस्त कोळी बांधवांना 
 नारळी पौर्णिमेच्या हार्दिक शुभेच्छा

4. दर्याचे धन तुझ्या होरीला येऊ दे 
 माझ्या कोळीबांधवांना सुखाचे 
 दिस येऊ दे..!!
नारळी पौर्णिमेच्या 
सर्वांना हार्दिक शुभेच्छा..!

5. नारळी पौर्णिमेनिमित्त 
सागराला श्रीफळ अर्पण करताना 
 सर्व कोळी बांधवांच्या
 समृद्ध जीवनाचा संकल्प करूया..
 समस्त कोळी भांडण बांधवांना 
आणि संपूर्ण महाराष्ट्राला 
नारळी पौर्णिमेच्या हार्दिक शुभेच्छा

निष्कर्ष: (Conclusion)


नारली पूर्णिमा (Narali Purnima)2025 कब है ? और नारली पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? उसकी पूजा विधि, सामाजिक और पारंपरिक महत्व को इस ब्लॉग आर्टिकल में  हमने आपको बताया। नारली पूर्णिमा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि संस्कृति, परंपरा और प्रकृति के साथ सामंजस्य  रखने का प्रतीक है। यह उत्सव हमें सिखाता है कि आजीवन जिस प्राकृतिक स्रोतों पर हम आधारित है, उनके प्रति आदर भाव उनका सम्मान करना भी आवश्यक है। 
यदि आप भी महाराष्ट्र में या किसी भी समुद्र तटीय क्षेत्र में रहते हैं। तो इस  नारली पूर्णिमा के अवसर पर इस त्यौहार में शामिल हो जाए। और इस त्यौहार का आनंद लो और हमें कमेंट बॉक्स में इस त्यौहार के बारे में अपना अनुभव जरूर शेयर करें और हमें eventtodays.com पर फॉलो करें। धन्यवाद।


FAQ:


1. नारली पूर्णिमा का क्या महत्व है?


नारली पूर्णिमा का सामाजिक और सांस्कृतिक बड़ा ही महत्व है। इस दिन मछुआरे और मछली पकड़ने वाले समुदाय एकजुट हो जाते हैं। और समुद्र तट पर जाकर समुद्र देवता को नारियल चढ़ाते हैं, समुद्र देवता की पूजा करते हैं और नृत्य, पारंपरिक गीत, पारंपरिक भोजन मिलजुल कर करते हैं।

2. नारली पूर्णिमा कौन से राज्य में मनाते है?

भारत में मुख्यतः महाराष्ट्र राज्य की कोंकण भागों में और समुद्र तट की भागों में नारली पूर्णिमा मनाया जाता है।

3. नारली पूर्णिमा कब है?

श्रावण माह की पूर्णिमा को 9 अगस्त 2025 को नरौली पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसी त्यौहार के दिन ही राखी बंधन का पर्व मनाया जाता है।

4.  नारली पूर्णिमा की पुजा विधी 

लोग सुबह जल्दी उठते हैं। और अपने नावों को सजाते हैं। समुद्र देवता को नारियल अर्पित करते हैं। नृत्य पारंपरिक गीत और पारंपरिक भोजन बनाया जाता है।

5. नारली पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

पौराणिक मान्यता के अनुसार लोगों का मानना यह है कि नारली पूर्णिमा पर समुद्र देवता को नारियल अर्पण करने से समुद्र देव प्रसन्न होते हैं और मछुआरों की हर संकट से उनकी रक्षा करते हैं। इस त्यौहार को मनाने के बाद मछुआरों  के लिए मछली पकड़ने के लिए समुद्र की हवा अनुकूल हो जाती है ऐसा माना जाता है।