Shardiya Navratri 2025: दोस्तों इस साल शारदीय नवरात्रि फेस्टिवल 22 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। महाराष्ट्र में और पूरे भारत भर में नवरात्रि का यह त्यौहार मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे मराठी भाषा में 'घटस्थापना'(Kalash Sthapna) बोलते है। दोस्तों महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (अहमदनगर) राशीन गांव में 'यमाई' देविका जिसे 'जगदंबा' देवी भी कहते हैं। यह हमारे यहां का शारदीय नवरात्रि इवेंट(Event )है। तुम्हारे यहां कौन से देवी का फेस्टिवल या नवरात्रि Event होता है। वह कमेंट में जरूर बताएगा। नवरात्रि का त्योहार पास आने पर सबको यही ख्याल आता है, कि नवरात्रि 2025 कब है?(Navratri kab hai?)नवरात्रि में देवी की पूजा कैसे करते हैं? नवरात्रि में 9 दिन का भोग कौन सा बनाएं? हम लोग नवरात्रि क्यों मनाते हैं? उसके पीछे की ओर से में कहानी, इतिहास, महत्व और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे डांडिया और गरबा नृत्य इसके बारे में जानने के लिए उत्सुकता लगी रहती है। नवरात्रि में हम अपने परिजनों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कौनसी दे इसके बारे में भी हम आपको इस Event Today's ब्लॉग आर्टिकल में जानकारी देंगे। हमारे इस ब्लॉक पर इंटरनेशनल और मुख्यतः भारत के त्यौहार के बारे में बताया जाता है। आपको जिस भी भाषा में पढ़ना है इस ब्लॉग पर गूगल ट्रांसलेट (Google translate)का ऑप्शन है। वहां जाकर अपनी भाषा सिलेक्ट करके पढ़ना।
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Shardiya Navratri 2025 |
नवरात्रि कब है? (Shardiya Navratri kab hai?)
शारदीय नवरात्रि भारत का एक प्रमुख पर्व है, जिसे मां दुर्गा की उपासना के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव 9 दिन तक चलता है। और पूरे भारत भर में श्रद्धा और उत्साह के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि में उपवास पूजा और गरबा डांडिया जैसे संस्कृतिक कार्यक्रम का विशेष महत्व होता है।
शारदीय नवरात्रि सोमवार 22 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। और इसका समापन मंगलवार 1 अक्टूबर 2025 को होगा।
शारदीय नवरात्रि हर साल पितृ अमावस्या की अगले दिन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है।
दोस्तों शारदीय नवरात्रि में पूरे भारत देश में जगह-जगह पर देवी दुर्गा की मूर्तियों से पंडाल सजाए जाते हैं। और 9 दिन तक पूरे उत्साह के साथ लोग उपवास रखते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।
आईए जानते हैं सभी स्तर से मुख्य तिथियां और घटनाएं
1.शारदीय नवरात्रि प्रारंभ:
नवरात्रि के पहले दिन सोमवार 22 सितंबर 2025 को होगी।
2.Kalash Sthapna (कलश स्थापना):
नवरात्रि के पहले दिन आश्विन माह के प्रतिपदा तिथि को 22 सितंबर 2025 में है।
3.नवमी तिथि:
नवमी तिथि यानी की नवरात्रि का 9 वे दिन 1 अक्टूबर 2025 को नवमी तिथि आएगी।
4.दशहरा/विजयादशमी:
दशहरा यानी की विजयदशमी का उत्सव 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
नवरात्रि में देवी की पूजा कैसे करें ?
शारदीय नवरात्रि में भारत में अलग-अलग नाम वाली देवियों की पूजा की जाती है अलग-अलग जगह पर। नवरात्रि में देवी की पूजा करने के लिए सबसे पहले पूरे घर की साफ सफाई करें। एक चौकी स्थापित करें और उसे पर कलश स्थापना करें।उस कलश में जल, आम के पत्ते, सिक्का और चावल डालकर ऊपर नारियल रखें। इसके बाद देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने गणेश जी की पूजा करें। पूजा के आगे दीपक लगाएं।
दुर्गा मां को रोली चावल, फूल और चुनरिया अर्पित करें और प्रसाद चढ़ाएं। और मित्रों का जाप करने के बाद अंत में आरती करें।
1.घटस्थापना (कलश स्थापना) कैसे करें?
दोस्तों हमारे यहां मतलब महाराष्ट्र में अहिल्यानगर (अहमदनगर) के भागों में राशिन गांव का यामाई / जगदंबा (Rashin Yamai temple)माता का मंदिर प्रसिद्ध है। वहां के लोग नीचे बताए गए तरीके से कलश स्थापना यानी कि घटस्थापना करते हैं।
1.शारदीय नवरात्रि घटस्थापना के लिए भारत के महाराष्ट्र में गांव के लोग घटस्थापना के लिए सबसे पहले अपने घर की साफ सफाई करते हैं और स्नान करते हैं और नवरात्रि के दिन अच्छे पोशाक पहनते हैं उसके बाद खेतों में से मिट्टी लाते हैं।
2. घर में जो देवघर होता है। इसकी साफ सफाई करने के बाद सजावट की जाती है। और देवघर के आगे रंगोली बनाई जाती है। अब देवघर के मध्य भाग पर अरंडी का बड़ा पत्ता रखा जाता है, और उसपर खेत में से लाई हुई मिट्टी डाली जाती है।
3. खेत में से कलश स्थापना के लिए जो मिट्टी लाई जाती है उसमें सात प्रकार के धान डाले जाते हैं। उसमें गेहूं,बाजरा,जवस, चने, करडई आदि धान डाले जाते हैं।
4. धान डाले हुए मिट्टी के ऊपर मिट्टी का पात्र रखा जाता है। जिसे महाराष्ट्र में गांव के लोग मराठी में 'घट' बोलते हैं।
5. घट(मिट्टी का बर्तन)में पानी डाला जाता है।फिर। उसमें 1 रूपया का सिक्का, सुपारी डाला जाता है।उसपर पांच आम के पत्ते रखें जाते हैं।घट को हल्दी, कुमकुम लगाया जाता है, उसके बाद उसपर शुभ लाभ का चिन्ह निकाला जाता है।
6.कलश पर यानी घट पर आम के पत्ते रखने के बाद उसपर नारियल रखा जाता है।उस कलश पर 9 दिन तक हर रोज अलग अलग फुलों की माला बांधते हैं।
7. कलश या देवी के तस्वीर के पास घी का दीपक लगाएं जाता है।
1.देवी की पुजा करते समय में ये बातें ध्यान में रखें:
पूजा करते समय क्रोध, चिंता और नकारात्मक विचार नहीं करना चाहिए।
किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए और किसी को भी बिना भोजन कराए खुद भोजन नहीं करना चाहिए।
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2. दुर्गा माता की पूजा विधि (Durga Mata Puja Vidhi)
1. सफाई और चौकी की स्थापना
दुर्गा माता की पूजा करने के लिए सबसे पहले अपने घरों की साफ सफाई और पूजा स्थल को साफ करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए और उस पर देवी दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित करें।
2.कलश स्थापना
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का और आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल रखो और कलश को चावल से भरी प्लेट पर रखकर देवी के बाईं और स्थापित करें।
3.दीप प्रज्वलित करना
देवी के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं। उसे दिन भर और रात भर में भी जलाए रखना यानी की उसे अखंड ज्योति के रूप में प्रज्वलित करें।
4. गणेश पूजा
सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा या सुपारी से गणेश जी की स्थापना करे और उसके बाद उनका पूजन करो।
5. माता को भोग लगाना
दुर्गा माता की पूजा करते समय सबसे पहले गणेश जी का पूजन करने के बाद गणेश जी और देवी दुर्गा को कुमकुम, हल्दी, चावल और फूल अर्पित करें।
6.वस्त्र और देवी का श्रृंगार:
दुर्गा देवी को मौली (कलावा) और लाल चुनरी या वस्त्र अर्पित करें।
7. भोग और नैवेद्य
देवी को उपवास की खिचड़ी, केले फल अर्पित करें।
8. मंत्र जाप और आरती करें
देवी दुर्गा माता का उपवास रखने के बाद पूजा करते समय मंत्र जाप और का नाम स्मरण का बहुत बड़ा महत्व है। देवी की चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और देवी की आरती करें।
3.नवरात्रि पूजा सामग्री
• मिट्टी का पात्र (कलश)
• लाल या पीला कपड़ा
• हल्दी
• कुमकुम
• अगरबत्ती
• नारियल
• सुपारी
• दिया
• पान के पत्ते
• फूल
• कलावा(मौली)
• चुनरी
• मिठाई और फल
• आम के पत्ते ₹1 का सिक्का
• चावल
• घी, तेल
नवरात्रि के 9 दिन का भोग लिस्ट
शारदीय नवरात्रि के हर दिन माता रानी को एक अलग भोग चढ़ाया जाता है, उसे 9 दिन या 9 माला बोलते हैं।
1. पहला दिन माता शैलपुत्री: गाय के घी से बने व्यंजन जैसे घी का हलवा
2. दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी: शक्कर या मिश्री और पंचामृत
3.तीसरा दिन माता चंद्रघंटा: दूध या दूध से बनी मिठाई जैसे खीर या बर्फी
4. चौथा दिन माता कुष्मांडा: मालपुआ या फल
5. पांचवा दिन माता स्कंदमाता: केले
6. छठा दिन माता कात्यायनी:शहद
7. सातवां दिन माता कालरात्रि: गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई
8. आठवां दिन माता महागौरी: नारियल
9.नौवा दिन माता सिद्धिदात्री: हलवा, पूरी और चने का भोग लगाते हैं।
राशिन देवी मंदिर नवरात्रि उत्सव
शारदीय नवरात्रि का महत्व
शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है। मान्यता है कि इस दौरान देवी दुर्गा पृथ्वी पर अपने भक्तों का कल्याण करनी है के लिए आती है। यह त्यौहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम अन्य कामों में एकजुट होते हैं। सभी भक्ति भाव से माता दुर्गा के नाम से दूसरों को उपवास के लिए खिचड़ी का भोजन कराते हैं।
नवरात्रि भारत का एक प्रमुख पर्व है, जिसे मां दुर्गा के उपासना के रूप में मनाया जाता है। यह 9 दिनों तक चलता है और पूरे देश में श्रद्धा और उत्सव का माहौल रहता है।
मां दुर्गा का वाहन:
मान्यता है कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारेंगी यह समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है।
महोत्सव और संस्कृति;
महाराष्ट्र गुजरात बिहार पश्चिम बंगाल असम उड़ीसा आदि राज्यों में गरबा, डांडिया, रास और दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है। उत्तर भारत में रामलीला सह दशहरा मनाया जाता है।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं (Navratri WhatsApp status)
1. अंबामातेची नऊ रूप
तुम्हाला
कीर्ती, प्रसिद्धी, आरोग्य,
धन, शिक्षण,
सुख, समृद्धी, भक्ती
आणि शांती देवो.
नवरात्री उत्सव
निमित्त सर्वांना
हार्दिक शुभेच्छा
2.ओम सर्वमंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्य त्र्यंबके गौरी
नारायणी नमोस्तुते
नवरात्रि की
हार्दिक शभकामनाएं
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शुभ नवरात्रि 2025 |
3. शारदीय
नवरात्री
उत्सव
निमित्त
सर्वांना हार्दिक
शुभेच्छा
4. कुंकवाच्या पावलांनी देवी दुर्गा तुमच्या घरी येवो,
सुख संपत्ती सह तुम्हाला उदंड आरोग्य मिळो.
शारदीय नवरात्रीच्या मनपूर्वक शुभेच्छा
5. घटस्थापना
की हार्दिक शुभकामनाएं
लाल रंग की चुनरी से
सजा मां का दरबार,
हर्षित हुआ मन,
पुलकित हुआ संसार,
नन्हे नन्हे कदमों से
मां आए आपके द्वार
शुभ नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि की कहानी
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मां दुर्गा नवरात्रि |
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से त्रस्त देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा न
नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया था। और आखिरकार दसवें दिन उसका वध कर दिया था। इसे कहते हैं की बुराई पर अच्छाई की जीत हुई जिससे पृथ्वी पर धर्म और अच्छाई की जीत हुई।
इसी दिन को याद रखने के लिए नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक मनाया जाता है।
1. महिषासुर का वध
मान्यता है कि महिषासुर का नामक एक बहुत शक्तिशाली राक्षस था। उसे कोई देवता मार नहीं सकता था। उसे वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देव देवता मार नहीं सकते उसकी मृत्यु केवल
एक स्त्री के हाथों यानी देवी की हाथों होगी।
महिषासुर को यह अहंकार था की ऐसी शक्तिशाली देवी पूरे ब्रह्मांड में नहीं है जो मेरे शक्ति का सामना कर सके और मुझे मार सके। इसलिए वह देवताओं और मनुष्य पर अत्याचार करता था
देवताओं ने महिषासुर से मुक्ति पाने के लिए अपनी शक्तियों को मिलाकर एक दिव्य स्त्री शक्ति, देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। जिसके अंदर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सभी देवताओं की शक्ति समाविष्ट थी।
देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दोनों और नौ रात्रों तक युद्ध किया था। महिषासुर हार मानने के लिए तैयार नहीं था।
नवमी की रात को आखिरकार देवी दुर्गा ने
महिषासुर का त्रिशूल से वध किया। इसलिए दसवां दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
इस युद्ध की स्मृति में और देवी दुर्गा की शक्ति का सम्मान करने के लिए नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।
यह कथा नवरात्रि उत्सव के महत्व को बताती है, जो अधर्म पर धर्म की जीत और देवी दुर्गा की शक्ति का सम्मान करने का महत्वपूर्ण पर्व है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Shardiya Navratri 2025: यह त्यौहार शक्ति की पूजा, आत्म सुधार, सांस्कृतिक उत्सव और आध्यात्मिक उन्नति का सबसे धूमधाम वाला पर्व है। शारदीय नवरात्रि 9 या 10 दिन तक चलने वाला त्यौहार है। जिसमें भक्त उपवास रखते हैं। देवी के नौ रूपों की आराधना करते हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नृत्य जैसे गुजरात में गरबा सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। पूजा पाठ के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। और त्यौहार का समापन विजयदशमी पर प्रतिमाओं के विसर्जन या पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ होता है।
नवरात्र शक्ति और विजय का पर्व है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है। दोस्तों आपके यहां देवी का उत्सव कैसा मनाया जाता है हमें कमेंट में जरूर बताइयेगा। Event Today's blog को अंत पढ़ने के लिए धन्यवाद। मुखत: भारत के और अंतरराष्ट्रीय उत्सव, त्यौहार और कार्यक्रम (Event )के बारे में जानने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करे।
FAQS
1. नवरात्रि 2025 में कब है?
शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि सोमवार, 22 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी।
2. घर में नवरात्रि की पूजा कैसे करें?
घर में नवरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर एक चौकी लगाकर उस पर लाल कपड़ा बिछा दो फिर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश स्थापना यानी घटस्थापना करें। कलश में पवित्र जल, सिक्का, सुपारी डाले और आम के पांच पत्ते रखकर उस पर नारियल रखें। कलश को लाल चुनरी बांधकर माता दुर्गा का मंत्र जाप, चालीसा का पाठ करें। फिर फूल फल मिठाई का भोग लगाएं। माता दुर्गा की आरती करें और फिर प्रसाद बांटें।
3. नवरात्री विजयदशमी कब है?
9 दिन के बाद दसवें दिन दशहरा यानी की विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
4. दुर्गा माता की पूजा विधि
दुर्गा माता की पूजा विधि के लिए घर की साफ सफाई करें और पूजा स्थान का भी साफ सफाई करें। फिर कलश स्थापना और गणेश पूजा करें।
मां दुर्गा को लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत, सिंन्दुर और श्रृंगार का सामान अर्पित करे। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पठन करे। फिर धूप दीप जलाकर देवी की आरती करने के बाद फल और मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद और आरती सबको दो।
5. नवरात्रि पूजा विधि कलश स्थापना
कलश को उत्तर पूर्व दिशा में और उत्तर दिशा में माता दुर्गा देवी के बाईं बाजू पर रखे।
कलश में पानी, फुल, आम के पत्ते और एक रुपए का सिक्का और अन्य पवित्र चीज डालें। फिर उसके ऊपर हल्दी, कुमकुम और शुभ लाभ बनवा कर एक नारियल रखो। कलश को चुनरी से ढककर कलावे या मोली से बांधे।